हम तालाब पर इसलिए जाना चाहते है की हम भी औरो की तरह मनुसये है और मनुसये की तरह जीना चाहते है | और अछूतों समाज हिन्दू दर्म के अंतर्गत है या नहीं इस पप्रशन का हम हमेशा के लिए फैसला करना चाहते है |
-डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
यदि हिदू धर्म अछूतों का धर्म है तो उसको सामाजिक समानता का धर्म बनना होगा , इसके लिए चतुनाव्ये के सिधांत को जातिभेद तथा अस्प्रुस्यता का जनक है , मटियामेट करना होगा | चतुवार्न्ये और जातिभेद दोनों अछूतों के आत्मसम्मान के विरुद्ध है |
-डॉ बाबासाहेब आंबेडकर


No comments:
Post a Comment